और फिर..फिर से... एडिट कर के लिख दिया.. मेरी माँ ! और फिर..फिर से... एडिट कर के लिख दिया.. मेरी माँ !
आख़िरी बार हसरत से उसने एक-एक शब्द पढ़ा और उस पर हौले से अपनी उँगलियाँ भी फेरी। आख़िरी बार हसरत से उसने एक-एक शब्द पढ़ा और उस पर हौले से अपनी उँगलियाँ भी फेरी।
गर्मियों के मौसम की तरह हस्ते खेलते घूमते फिरते सूरज से बात करते हुए निजल देना चाहिए। गर्मियों के मौसम की तरह हस्ते खेलते घूमते फिरते सूरज से बात करते हुए निजल देना च...